Pages

Pages

Monday, April 25, 2011

शब्द तो हैं पर

शब्द तो हैं पर
आवाज़ नहीं मिल रही                  
कल रात ही तो
एक नया ख्याल  आया था
पर ना उसको शब्द  ही मिले
और ना ही  आवाज़

शोर इतना की ख्यालों की
जैसे भीड़ लगी हो
हर ख्याल
जैसे अपने नाप के शब्द  ढून्ढ रहा हो


और शब्द गृहणियो जैसे
कर रहे हो बेमतलब
तोल-मोल

और एक कोने मैं
बैठा अकेला मन
गिन रहा हो
अकेली धड़कन
एक रात और.

2 comments:

  1. naap tol me ulhey sey shabd mujhey meri grihini honey ka ehsas dilantey hain..

    ReplyDelete
  2. naap tol mei ulthey ye shabd mujey mere grihini honey ka ehsaas dilatey hain...

    ReplyDelete