Pages

Pages

Friday, June 17, 2011

जियो और जीने दो

जहाँ मेरी जड़ें हैं
वो पेड़  कहता है
अब मैं नहीं उसकी डाली

जिसने मुझे
प्यार का सपना दिखा
लाकर रोप दिया
अपनी बगिया मैं
उसके लिए
अब भी परायी
मुझे अस्तीत्व की
इस लड़ाई में
उलझाकर
तुमने हमेशा साबित
किया कमज़ोर...

कमज़ोर  हैं सिर्फ तुम्हारी
प्रथाएयें
तुम्हारी सोच और मान्याताएँ

ज्यादा मत करो
बस जियो और जीने दो

1 comment:

  1. jiyenge or jeene denge
    akele naa aapko lekin marne denge
    ped murjha gyaa toh kyaa
    Phal naa lage toh kyaa
    chaaya toh milti he humein

    ReplyDelete