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Friday, February 10, 2012

language.....

आज मन ने फिर से
हिंदी में करवट ली 
और पाया 
वो जो मैं
अक्सर दूसरी भाषा में
कहती हूँ
वो सिर्फ शब्द हैं
नहीं उनमे मेरी माँ
के हाथों की खुशबू
या  मेरे छोटे से घर
की रंगत
उसमे कैसे घुल सकेगी
मेरे पहाड़ी बचपन
की बातें 
या मेरी देसी यादों 
की परतें


जब कोई भी
भावना दिल से
छलकने लगती है
आज भी मैं
हिंदी गाना गाती हूँ
और दूर परदेस में
जब छपती है
अंग्रेजी में कविता मेरी
मन मेरा तब भी
हिंदी में करवट लेता है  !

 



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