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Friday, March 30, 2012

अष्टमी

इसके पैदा होने की
खबर आते ही
पाप के खून से
रंगने पड़ते हैं
मजबूरन  अपने हाथ

और फिर भी
दुर्भाग्य से ये
आ ही जाए तो
कूड़ादान,ट्रेन या नाला
ढूँढने की परेशानी
भी उठाओ

नहीं छोड़ा तो
बोझ सालों-साल
बढता ही जाता है  इसका

फिर गलती से या तो
यह ले भागेगी
किसी के साथ तुम्हारी
सारी इज्ज़त
या फिर ले आएगी
कॉलेज,सड़क या नौकरी से
किसी की हवस की कालिख
सारे खानदान के मुंह
पर पोतने को

और अगर इस सब से पहले
कच्ची उम्र में
ब्याह करना हो इज्ज़त से
तो क़र्ज़ लो,
घर-खेत गिरवी रखो
और हर हाल में
झुकाओ अपनी पगड़ी

और बावजूद इसके
नहीं सह पाती यह
थोड़ी सी मार या अपमान
फिर जलाई जाएगी
या कर लेगी आत्महत्या
और पुलिस ,कोर्ट -कचहेरी
में घसीटे जायोगे तुम
बेमतलब ही तो

यह शेहरों की
परकटी औरतों की
बातों में
मत आ जाना
बेटा बेटी एक समान
कब हुआ है?

कल अष्टमी है
पूरे विधि-विधान से
कन्या-पूजन करना
कहीं तुम पर
आ ही न जाए
ये विपदा !




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