Labels on my forehead are better than blinkers on my mind
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Sunday, February 24, 2013
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कभी शब्दों से और अक्सर शब्दों के अंतर में जन्मे कोलाहल को न कोई और जब स्थान मिला तो कभी साँसों में कभी आँसूं में घुल-घुल कर एक नया संवाद बने कुछ भूल गए कुछ याद बने ऐसे ही तिनका-तिनका जुड़ने से सब मिलकर ये ब्लॉग बने ! HAPPY BIRTHDAY BLOG !
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