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Wednesday, March 13, 2013

आंदोलन

आंदोलन ही तो है
अपनी अजन्मी बच्ची
के जीने के  अधिकार के लिए
सर्वस्व का दांव
पर लगा देना

आंदोलन ही है
उस बच्ची का
घर की दहलीज़ लांघ
स्कूल की चौखट चूमना
माँ के साथ
चक्की की तरह
पिस-पिस कर भी
किताबों का दामन
थामे रखना

आन्दोलन है
अपनी इच्छा से
मोल-भाव,देन -लेन रहित
अपना जीवन -साथी चुनना
दकियानूसी रिवाजों की
मैली चादर को
अपनी आत्मा के
लहुलुहान होने पर भी
उतार फेंकना


आन्दोलन है
काम करने की
स्वतंत्रता के साथ-साथ
अपनी पूंजी आप बटोरना
अपने छोटे-बड़े सब
तरह के अपमानों का
विरोध करना

आन्दोलन है
अपने बेटे,भाई,पति और पिता को
अपने जीवन के हरेक पुरुष को
औरत की गाली देने का
अधिकार न देना

आन्दोलन है
अपनी आवाज़ को
हर औरत की आवाज़ बना देना

सड़कों पर,झंडों और नारों में
तो है बस एक आन्दोलन
चूल्हे-चौकों में
घरों में ,मनों में
आत्माओं में
अविरत हैं
असंख्य अल्प आंदोलन

मशालें तो दिखाई देती हैं
दूर से भी पर
रौशनी लायेंगे शायद
ऐसे ही छोटी-छोटी
ज्वालाओं के आंदोलन !!


Celebrating Girls, Celebrating Women Contest




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