Labels on my forehead are better than blinkers on my mind
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Wednesday, April 10, 2013
पुराने कागज
पुराने कागजों में कैद रखे लम्हों की धूल में फीकी पड़ी है ख़ूबसूरत याद कोई और मुंह छुपाता अफ़सोस का भी कोई अकेला पल कहीं पर कहीं से झांकते वो हाथ जो छूटे कहीं पे मगरूर एक मज़बूत रिश्ता और फिर एक ही छींक से टूटता सारा तिल्सिम अभी के फर्श पर बिखरते कल के सपने !
OMG this is so beautiful!!
ReplyDeleteThanks !!
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