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Saturday, September 25, 2010

happy daughter's day !

प्रियंवदा के लिए

तुम्हारी पहली आहट  से
पहली बार सुनी थी
मैंने ज़िन्दगी की धड़कन

जब पहली बार खोली थी
अपनी ऊँगली से तुम्हारी बंद मुठी
नहीं जानती थी खोले हैं मैंने
अपने ही कई सपने

तुम्हारी मुस्कराहट में मैंने
देखा पहली बार खुदा
और आंसू में तुम्हारे
दुःख को छुआ जैसे

मेरी प्यारी बेटी
अब तुम हो मेरी दोस्त
हमराज़ और ज़िन्दगी

तुमसे मैंने पाया
एक नया मतलब
एक नया दर्जा

खुश रहो हमेशा
और बांटती रहो
सदा खुशियाँ

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