एक वह दिन था जब
दूर-दूर से एक-एक
तिनका लाके
था यह घोंसला सजाया
एक यह दिन है
जब नए सिरे से
नए पेड़ पर
है जा बसना
समय तो नदी है
और हैं सपने उड़ते पंछी
पर मन तो मेरा
यह समझ न पाता
बार-बार है प्रशन उठाता
क्या ले जा पाएंगे
हम यह यादें सारी?
क्या इस घर के कोने में धुल बन चुके
आंसू अब सुख गए हैं?
क्या इस घर में पीछे भी
गूंजेगी किलकारी?
क्या आँचल में
समां पाएंगे सारे लम्हे
सारी बातें खट्टी - मीठी?
नहीं जानती
बस ये चाहती हूँ
बड़ा सा आँचल मुझको देना
और दिल में थोड़ी और जगह कर देना
जिससे कुछ भी पीछे न रह जाए
नए घोंसले में सब मेरे साथ ही जाये
very nice pooja.
ReplyDeleteHave you played [url=http://mastercardcasinos.biz.tc]MasterCard casinos[/url]? Can I trust it?
ReplyDelete