Pages

Pages

Monday, September 26, 2011

दूसरी बेटी

जब माँ की पीठ
का दर्द बढ जाता
भाग-भाग कर दवा वह लाती
अपने छोटे हाथों से फिर
टेड़ी-मेडी रोटी पकाती

जब बाबा पर मजबूरी आती
कभी न कोई मांग बताती
पूरा साल एक पुराने सूट
में वह चुपचाप चलाती

पढ़-लिखकर जब बड़े शेहर
में बिटिया रानी नाम कमाती
माँ-बाबा का छोटा घर
अपने जिया से नहीं भुलाती

शादी के बातों से पहले
बाबा को खूब समझाती
लेने-देने की कोई बात न करना
ऐसा बार- बार दोहराती

माँ के जाने के बाद से वह फिर
बाबा की भी माँ बन जाती
स्नेह दिखाती,प्यार जताती
और कभी-कभी डांट लगाती

मृत्यु शैया पर सोया बाबा
सोच-सोच बहुत दुःख पाता
क्यूँ उसने थी हिम्मत हारी
कोख में दूसरी बेटी मारी

आज वह होती
तो में दुगना स्नेह भी पाता,गर्व जताता
दूसरी बेटी जग में आती
वह भी रोशन नाम कराती !

1 comment:

  1. I really appreciate your site. Thank you for your insights and guidance.

    ReplyDelete