उस घर की थी रानी तुम
मेरी प्यारी नानी तुम
न देखा कोई शहर कभी
फिर कैसे सुना पाती थी
दुनिया भर की कहानी तुम
तुम्हारे चेहरे की झुरियों में
परी लोक के रस्ते थे
तुम्हारे हाथों से हमेशा
अच्छे पकवान ही बनते थे
जब तुम थी तब जाना न था
तुम चली गयी तो जाना है
जीवन पथ पर चलते-चलते
सब पीछे छूटता जाता है
कहानी,सपने,बचपन और अब
मेरी प्यारी नानी तुम.
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