की सबके जैसे
मैं भी बोलूँ कुछ ख़ास तुम्हे
कोई कविता या फिर कोई गिफ्ट भेजू
पर नहीं हुआ इस बार भी
हमने रोज़ की तरह
बस की अपनी -अपनी ज़िन्दगी की बातें सांझी
आपसे सीखे ज़िन्दगी के कुछ और नुस्खे
और आपने मुझसे
इन्टरनेट की और बारीकी
मेरी हँसी मैं
जानती हूँ आपने सुन लिया जो मुझे था कहना
और आपके दुआ भरे हाथ छू
गए मुझे इतनी दूर से भी
हाँ माँ
लोग कहते हैं
कल मदर'स डे था
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