एक रात थी
काली स्याह धुंधली
अपने ही सायों में डूब कर
घुलती चुपचाप
एक चाँद था
चमकीला,सब तारों से
ज्यादा रोशन
लेकिन अकेला
फिर रात और चाँद
इक बार मिले
और दोनों ने यह मान लिया
अब साथ चलें
मैं अपने आंचल में
छिपा लूं तुमको
और तुम मुझमे भर दो
अपनी रूह की रौशनी
उस दिन एक खूबसूरत
रिश्ता बना
नाम जिसका प्यार पड़ा
और शायर ने जिसको
फिर चांदनी रात कहा !
simple...yet beautiful...
ReplyDeletethanks, enjoyed the article
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