खेतों और खलिहानों में
छोटे -बड़े कारखानों में
तुम जितना ही पिसती है
घर में और दफ्तर में
किस्मत की लकीरों को
तुम्हारी तरह ही घिसती है
माँ का हाथ बटाते
बचपन के सपने घुल जाते हैं
मर्यादा का बोझ उठाते
उसके कंधे झुक जाते हैं
बेटी,बहेन ,पत्नी या माँ हो
या फिर हो सहकर्मी सहपाठी
सारा श्रेय उसके हिस्से का भी
तुमने सहर्ष स्वीकार किया
और मर्यादा-पुरषोत्तम होने पर भी
परंपरा का पूर्ण दायित्व
उसको तुमने सौंप दिया ?
भागीदार को भार बता कर
निरंतर जिसका अपमान किया
केवल पत्थर की देवी बना कर
ही जिसका सम्मान किया
नारी रूपी मेरुदंड
ही तुम को सशक्त बनाएगा
नारी-सम्मान करने वाला ही
मर्यादा-पुरषोत्तम कहलायेगा !
This is an entry for a contest on INDUSLADIES
this is really nice!!
ReplyDeleteThanks HDWK !!
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