शब्द तो हैं पर
आवाज़ नहीं मिल रही
कल रात ही तो
और ना ही आवाज़
शोर इतना की ख्यालों की
जैसे भीड़ लगी हो
हर ख्याल
जैसे अपने नाप के शब्द ढून्ढ रहा हो
और शब्द गृहणियो जैसे
कर रहे हो बेमतलब
तोल-मोल
और एक कोने मैं
बैठा अकेला मन
गिन रहा हो
अकेली धड़कन
एक रात और.
आवाज़ नहीं मिल रही
कल रात ही तो
एक नया ख्याल आया था
पर ना उसको शब्द ही मिलेऔर ना ही आवाज़
शोर इतना की ख्यालों की
जैसे भीड़ लगी हो
हर ख्याल
जैसे अपने नाप के शब्द ढून्ढ रहा हो
और शब्द गृहणियो जैसे
कर रहे हो बेमतलब
तोल-मोल
और एक कोने मैं
बैठा अकेला मन
गिन रहा हो
अकेली धड़कन
एक रात और.
naap tol me ulhey sey shabd mujhey meri grihini honey ka ehsas dilantey hain..
ReplyDeletenaap tol mei ulthey ye shabd mujey mere grihini honey ka ehsaas dilatey hain...
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