मैं अक्सर आते-जाते
दूर से उसे देख पाती
इस्त्री के लिए रखे
कपड़ों के ढेर पर
गंठरी सी झुकी वो
उसके जाने के बाद
हर बार,बहुत देर तक
मुझे सालती रहती
उसकी मुस्कान की उदासी
सहानुभूति से परे थी
क्या उसकी अक्षमता?
आँखें बहुत सुंदर थी उसकी
हाथ-पैर सब ठीक-ठाक
मीठी आवाज़, बस
यह जो उसकी पीठ पर था
प्रतीक था ,हमारी
संवेदना-शुन्यता का,
उसकी पीठ पर
बोझ था अनगिनित
क्रूर टिप्पणियों का
उसकी पीठ पर
केवल एक कूब नहीं था !
दूर से उसे देख पाती
इस्त्री के लिए रखे
कपड़ों के ढेर पर
गंठरी सी झुकी वो
उसके जाने के बाद
हर बार,बहुत देर तक
मुझे सालती रहती
उसकी मुस्कान की उदासी
सहानुभूति से परे थी
क्या उसकी अक्षमता?
आँखें बहुत सुंदर थी उसकी
हाथ-पैर सब ठीक-ठाक
मीठी आवाज़, बस
यह जो उसकी पीठ पर था
प्रतीक था ,हमारी
संवेदना-शुन्यता का,
उसकी पीठ पर
बोझ था अनगिनित
क्रूर टिप्पणियों का
उसकी पीठ पर
केवल एक कूब नहीं था !
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