क्यों गयी थी
वो पागल लड़की
गली में खेलने
गलियाँ सड़कें तो
लड़कों के लिए
होती हैं
चुप-चाप सुबह
कहीं कंजक बनती
पूरी-हलवा पांच रूपये लेती
और देवी बनकर
मर्यादा के कारावास
में खुद को बंद कर लेती
चाकलेट का
लालच ही उसको लील गया
घुटनों के ऊपर फ्राक पहनाया
नासमझ माँ ने
देखो बेटी का शील गया
अब लड़के तो लड़के होते हैं
कब उम्र देखकर छेड़ते हैं
"शुक्र करो लड़की जिंदा
मिल गयी तुम्हारी"
दरोगा ठीक ही बोला
घर में कन्या-पूजन
करने वाले हाथ ही
आँचल नोचते हैं
बेवकूफ माँ-बाप थे उसके
कोख में ही जो मार गिराते
खुद भी दुःख से बचते
दो लड़कों का भविष्य भी बचाते
दो-चार दिन खूब शोर मचेगा
टीवी वाले आएंगे ,
अखबार बिकेगा
फिर आंकड़ा बना कर
कहीं दबा दी जाएगी
जब तक फ्राक पहनकर,
पांच साल की
कोई और पागल लड़की
चाकलेट को ललचाएगी !
LOve your bloog Pooja ji...
ReplyDeleteThanks !
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