राशन की पर्चियों में
बेमतलब रसीदों में
दवा की आधी भरी
आधी खाली रंग-बिरंगी
शीशियों में
ज़िन्दगी उंडेल रखी है
पुरानी किताबों की
अजीब महक में
लम्हे क़ैद कर रखे हैं
पुरानी डाईरी के
पीले पन्नों में
सावन संजो के रखे हैं
चिट्ठियों के घुलते लफ़्ज़ों में
इश्क दफ़न कर रखा है
कैसे में यह तय कर लूं
क्या कबाड़ है
और क्या अच्छा है !
बेमतलब रसीदों में
दवा की आधी भरी
आधी खाली रंग-बिरंगी
शीशियों में
ज़िन्दगी उंडेल रखी है
पुरानी किताबों की
अजीब महक में
लम्हे क़ैद कर रखे हैं
पुरानी डाईरी के
पीले पन्नों में
सावन संजो के रखे हैं
चिट्ठियों के घुलते लफ़्ज़ों में
इश्क दफ़न कर रखा है
कैसे में यह तय कर लूं
क्या कबाड़ है
और क्या अच्छा है !