रुकी हुई है ज़िंदगी
जैसे काग़ज़ की नाव से
कोई अचानक उसके
भंवर छीन ले
सूखी रेत में
धंसते-धंसते
दूर तक किसी बादल
की उमीद भी ना मिले !
--------------------------------
प्यार इंद्रधनुष जैसा
क्षण भन्गुर,अल्पायु
और याद फफूंद जैसी
आत्मा को सालती,गलाती
बारिश बड़ी बेरहम !
-------------------------------
घिस घिस के लम्हों को
बार बार
आँसुओं से धोया
कुरेदा,खरोंचा
दिल के लहू में भिगोया
यह इश्क़ की सियाही
की छाप छूटती ही नहीं !
जैसे काग़ज़ की नाव से
कोई अचानक उसके
भंवर छीन ले
सूखी रेत में
धंसते-धंसते
दूर तक किसी बादल
की उमीद भी ना मिले !
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प्यार इंद्रधनुष जैसा
क्षण भन्गुर,अल्पायु
और याद फफूंद जैसी
आत्मा को सालती,गलाती
बारिश बड़ी बेरहम !
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घिस घिस के लम्हों को
बार बार
आँसुओं से धोया
कुरेदा,खरोंचा
दिल के लहू में भिगोया
यह इश्क़ की सियाही
की छाप छूटती ही नहीं !
Wah wah!
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